वन विभाग के अधिकारी दे रहे हैं सफाई, हाथी और मानव के बीच द्वंद्व में लगातार घट रही घटना
रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक बार फिर से जंगली हाथी का शिकार करने का मामला सामने आया है। इससे पहले भी धरमजयगढ़ वन मंडल व रायगढ़ वन मंडल में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं लेकिन वन विभाग ऐसी घटनाओं को रोक पाने में नाकाम साबित हुआ है। जिले के धर्मजयगढ़ व रायगढ़ वन मंडल मंे बीते कई सालों से जंगली हाथियों की दहशत से कई गांव थर्राये हुए हैं और इनके लगातार उत्पात से अब तक लगभग 50 से भी अधिक मौतें व हजारों एकड़ फसल नष्ट हो चुकी है। जिसके चलते अब मानव व जंगली हाथियों के बीच बढ़ते द्वंद्व का यह नतीजा है कि हाथी प्रभावित क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं लगातार घटित हो रही है।
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार वन मंडल रायगढ़ के अंतर्गत आने वाले घरघोड़ा रेंज के अमलीडीह के जंगल में आज एक मादा हाथी का शव देखा गया। मामले की जानकारी वन विभाग को लगते ही धरमजयगढ़ डीएफओ व घरघोड़ा वन परिक्षेत्र के अधिकारी और कर्मचारी पूरी टीम के साथ पहुंच गए है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि मादा हाथी की मौत करंट की चपेट में आने से हुई है। जिसके बाद पुलिस वन विभाग की टीम डाॅग स्क्वायड की टीम के जरिये आरोपियों की पतासाजी की जा रही है।
रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ और छाल वन परिक्षेत्र में हमेशा जंगली हाथियों की मौजूदगी रहती है। इन जंगली हाथियों के द्वारा आए दिन जंगलों से निकलकर रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर ग्रामीणों के घरों व फसलों को लगातार नुकसान पहुंचाया जाता है। बीते कुछ महीनों की अगर हम बात करें तो घरघोड़ा वन परिक्षेत्र में ही जंगली हाथियों के हमले से अब तक दो की मौत हो चुकी है और यहां भी एक हाथी शावक की लाश मिल चुकी है।
रायगढ़ जिले में लगातार बढ़ते जंगली हाथियों के आतंक से वन विभाग के द्वारा न तो ग्रामीणों को राहत दिलाई जा रही है और न ही हाथी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को उचित संसाधन उपलब्ध कराये जाते हैं। आलम यह है कि कुछ गांव के ग्रामीण अब स्वयं ही आत्मनिर्भर होकर अपने व अपने फसलों की रक्षा हेतु रतजगा करने पर मजबूर है। कुछ हाथी प्रभावित गांव ऐसे हैं जहां शाम ढलते ही पूरे गांव में सन्नाटा पसर जाता है। इतना ही नही कई बार तो इन जंगली हाथियों के आतंक से बचने के लिये करंट प्रवाहित तार भी खेतों के किनारे लगा देते हैं जिससे जंगली हाथियों की मौत की घटनाएं भी लगातार जारी है।
हो रही विभाग की लगातार लापरवाही
जिले के अधिकांश हाथी प्रभावित ग्रामीण इलाको में जंगली हाथी अलग-अलग दलों में विचरण कर रहे हैं और इसकी जानकारी वन विभाग को भी है, जिस क्षेत्र में जंगली हाथियों की आमद होती है वहां तत्काल बीट गार्ड या वन विभाग के कर्मचारी तत्काल अलर्ट मोड में आ जाते हैं परंतु वन अमला उस क्षेत्र की नियमित सर्चिग नही करता, अगर उनके द्वारा उस क्षेत्र में लगातार सर्चिंग की जाए तो जंगली हाथियों की मौत को रोका जा सकता है। अमलीडीह की घटना के अलावा अन्य घटनाओं में ऐसी घोर लापरवाही सामने आती है जब जंगली हाथी के शिकार होनें के बाद वन अमला दो से तीन दिन बाद मौके पर पहुंचकर मामले की लीपापोती में जुट जाता है।
लगातार घट रही ऐसी घटना
एक जानकारी के अनुसार हाथी प्रभावित क्षेत्रों में लोग कानून अपने हाथ में लेकर बकायदा करंट प्रवाहित तार बिछाते हैं और ऐसा नही है कि इनकी जानकारी वन विभाग को न हो। अवैध शिकार की खुली छूट होना ही एक के बाद एक शिकार के मामले सामने आ रहे हैं। अगर ड्यूटी के प्रति वन अमला सजग रहता तो इस प्रकार के हादसे न केवल रोके जा सकते हैं बल्कि अवैध शिकार करने वाले शिकारियों को दबोचा भी जा सकता है।
