रायगढ़। जिले के संवेदनशील जिलाध्यक्ष तारण प्रकाश सिन्हा ने पदभार ग्रहण करते ही राजस्व विभाग को काम पर लगा दिया है। और उन्होंने निर्देश दिया है कि सीमांकन बटांकन के प्रकरण तत्काल निराकृत किए जाएं। परंतु प्रश्न यहां यह उठता है कि अधिकांश गांव और शहरी आउटर इलाकों में चांदा मुनारा और प्रकट चिन्ह ही नहीं हैं। यहां तक की अधिकांश नक्शों में मुख्य मार्ग ही नहीं काटे गए हैं।  ऐसे में सीमांकन की प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है इससे झगड़े बढ़ेंगे। असल जमीन कहां से कहां तक है यह शुद्ध रूप से निकालना तभी संभव है जब किसी एक चांदा मुनारा को आधार बनाया जाए या फिर किसी प्रकट चिन्ह को बेस बनाकर सीमांकन किया जाए परंतु जहां पर मुख्य मार्ग ही मानचित्र में अंकित ना हो तब किस प्रकट चिन्ह को सही माना जाए।

जिला प्रशासन को इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए सबसे पहले चांदा मुनारा स्थापित करना चाहिए जो कि आज के आधुनिक युग में अत्यंत आसानी से हो जाएगा केवल इच्छाशक्ति और मेहनत की देर है जीपीएस सिस्टम भी है और अक्षांश देशांश भी यांत्रिक तौर पर मौजूद है। यदि थोड़ी सी मेहनत हो कर सबसे पहले यही निर्धारित हो जाए की गांव की सीमाएं कहां पर है।  चांदा मुनारा बन जाए प्रकट चिन्ह मुख्य सड़कें ,नाले, रेलवे लाइन आदि मानचित्र में कट जाए और जिन मामलों में सभी पक्ष सहमत हो वहां पर मानचित्र में तत्काल सुधार करते हुए बटांकन कर  दिया जाए तो फिर सैकड़ों और हजारों की संख्या में बढ़ते विवादों पर विराम लग जाएगा और राजस्व विभाग में  भी प्रकरणों की कमी होगी और व्यवहार न्यायालय में भी प्रकरण कम जाएंगे।  रायगढ़ व्यापारी संघ के अध्यक्ष एवं संयोजक राजेंद्र अग्रवाल तथा महामंत्री हीरा मोटवानी ने जिला प्रशासन से इस गंभीर मुद्दे पर संज्ञान लेने की अपील की है। 

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