रायगढ़। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत कमजोर वर्ग बच्चों को अच्छे स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा की योजना छात्रों को भारी पडऩे लगा है। आवेदन देने के बाद अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि उनका प्रवेश संबंधित स्कूल में होगा या नहीं। वहीं दूसरी ओर देखा जाए तो जिन स्कूलों में प्रवेश के लिए आवेदन किया गया है वहां एक माह से अधिक की पढा़ई पूरी हो चुकी है। शिक्षा विभाग के संज्ञान में यह बात है कि जिले में अधिकांश निजी स्कूल सीबीएसई से संबंधता प्राप्त स्कूल है जहां मार्च के शुरूआत में नया शिक्षण सत्र चालू हो जाता है लेकिन यहां तो देखा जाए तो आरटीई में प्रवेश में लिए छात्रों से फरवरी के अंत व मार्च के शुरूआत में आवेदन लिया जाता है। मार्च के अंत तक प्रक्रिया पूरी होती है।

वर्तमान में देखा जाए तो आवेदन के सत्यापन का कार्य पूरा हो पाया है। सत्यापन के बाद अब देखा जा रहा है कि किन स्कूलों के लिए कितना आवेदन है ओर वहां पर आरटीई की आरक्षित सीट कितनी है। आरक्षित सीट से अधिक आवेदन की स्थिति में वहां ड्रा निकालने की तैयारी की जा रही है। ऐसी स्थिति में आवेदन किए हुए छात्रों में से कुछ को तो प्रवेश मिलेगा कुछ को नहीं। जिनको प्रवेश मिलेगा वो छात्र अब १६ जून के बाद ही स्कूल जा पाएंगे, क्योंकि निजी स्कूलों में भी एक माह का अध्यापन पूरा होने के बाद ग्रीष्मकालीन अवकाश चल रहा है। लेकिन जिन बच्चों को प्रवेश मिलेगा उन छात्रों को पूर्व में पूरे हो चुके सिलेबस को पूरा करने में करीब पखवाड़े भर से अधिक का समय लग जाएगा जिसके बाद टेस्ट शुरू हो जाएगा। कुलमिलाकर पिछले कई सालों से यह स्थिति निर्मित हो रही है कि आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों को निजी स्कूलों में कोर्स पूरा करने में काफी मशक्कत सिर्फ प्रक्रिया में देरी के कारण करनी पड़ती है।

1293 आवेदन हुए निरस्त
आरटीई के तहत आवेदन करने वाले छात्रों के पालक भी असमंजस की स्थिति में रहते हैं। इस बार सत्यापन के दौरान 1293 आवेदन निरस्त हुए हैं। अब इन छात्रों के पालकों को अन्य विकल्प खोजना पड़ेगा।

शिक्षण सामग्री के लिए भी मशक्कत
निजी स्कूलों के शिक्षण सामग्री भी मार्च के शुरूआत में किताब दुकानों में बिकना शुरू हो जाती है और मार्च के पहले सप्ताह के बाद शिक्षण सामग्री का विक्रय बंद हो जाता है जिसके कारण आरटीई में प्रवेशित छात्रों को शिक्षण सामग्री के लिए भी मशक्कत करना पड़ता है।

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