वर्धा : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित एवं भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित ‘सिनेमा, साहित्य और समाज का अन्तःसंबंध’ विषय पर सोमवार 24 फरवरी को ग़ालिब सभागार में आयोजित दो दिवसीय (24-25) राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विवि के कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि सिनेमा और साहित्य व्यक्ति के जीवन को बदलने के ताकतवर माध्यम हैं। महाभारत और रामायण जैसे पैराणिक उत्कृष्ट महाकाव्य पर बनी फिल्मों का समाज पर गहरा असर हुआ है। समाज को प्रभावित करना सिनेमा और साहित्य का उद्देश्य रहा है। साहित्य व्यक्ति की तथा सिनेमा समुह की रचना है। व्यक्ति को झकझोर देना फिल्म की ताकत होती है।
मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध निर्माता एवं निर्देशक गजेन्द्र अहिरे ने कहा कि साहित्य और सिनेमा एक दुसरे के पुरक है। वे अलग हो नहीं सकते। वर्तमान समय में तकनीक में आए अद्भूत परिवर्तन के कारण आज फिल्म बनाना आसान हुआ है। प्रो. हुबनाथ पाण्डेय ने कहा कि सिनेमा बुनियादी रूप से व्यापार है व साहित्य सिनेमा के लिए एक तरह से कच्चा माल है। सिनेमा एक कला होने के कारण उसमें दुनिया को बदलने की ताकत होती है। दोनो के बीच लेन-देन का सिलसिला चलता रहता है। अच्छी फिल्में और अच्छा साहित्य चाहते हो तो हमें जागरूक रहना होगा और तभी सिनेमा और साहित्य को बचाया जा सकता है।
सुप्रसिद्ध लेखिका सुशिला टाकभोरे ने अपेक्षा व्यक्त की कि अच्छे साहित्य पर फिल्में बननी चाहिए। स्वागत भाषण एवं प्रस्तावना करते हुए गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ. राकेश कुमार मिश्र ने कहा कि सिनेमा समाज को ताकत देते आ रहा है। मुख्यधारा में ऐसे अनेक सार्थक निर्माता है जिन्होंने समाज पर अपना प्रभाव छोडा है। उन्होंने कहा कि सिनेमा और साहित्य समाज को प्रभावित करते हैं। उन्होंने दो दिवसीय तकनीकी सत्रों की रूपरेखा रखी।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी कला विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सतीश पावडे की पुस्तक ‘नाट्य मीमांसा’ तथा विश्व हिंदी ओलंपियाड का पोस्टर लोकार्पित किया गया, यह ओलिंपियाड रवीन्द्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा विश्व के 34 देशों में हिंदी ज्ञान को केंद्र में रखकर आयोजित किया जा रहा है, जिसमें विजेताओं को करोड़ों रुपए के पुरस्कार दिए जाएंगे। कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा
महात्मा गांधी के छायाचित्र पर माल्यार्पण तथा विवि के कुलगीत की प्रस्तुति से किया गया। संचालन गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार राय ने किया तथा संस्कृति विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. दिगंबर तंगलवाड ने आभार माना। कार्यक्रम में सिनेमा और साहित्य से जुड़ी हस्तियां कवि लोकनाथ यशवंत, मनोज रुपड़ा, जयशंकर, प्रफुल्ल शिलेदार, आशुतोष, डॉ. राजेन्द्र मुंढे, जयप्रकाश नागला, रविकांत सहित विवि के अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
उद्घाटन सत्र के बाद सिनेमा और साहित्य : रचनात्मक संवाद, डिजिटल युग और बदलता सिनेमा, शांति के लिए सहअस्तित्व और सिनेमा विषयों पर वक्ताओं ने विचार रखे। संगोष्ठी में मंगलवार, 25 फरवरी को सिनेमा और इतिहास, सिनेमा साहित्य और सबअल्टर्न विमर्श, समाज, संस्कृति और सिनेमा : बिम्ब- प्रतिबिम्ब विषयों पर विमर्श होगा। संगोष्ठी का समापन कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को होगा जिसमें प्रो. रविकांत एवं डॉ. पूनम वर्मा मुख्य अतिथि होंगे।
