रायगढ़ l नगर निगम में दुकानों के किराए में वृद्धि को लेकर कारोबारी और नगर निगमआमने-सामने आ गए हैं। दरअसल नगर निगम ने साल 2016 में सदन की बैठक में ली गई एक स्वीकृति के आधार पर दुकानों के किराए में अनायास वृद्धि कर दी है। इतना ही नहीं दुकानदारों को 2016 से नई दरों पर किराया देने के लिए नोटिस जारी किया गया है। ऐसे में कारोबारी इसके विरोध में हैं। पीड़ित कारोबारियों ने जहां इस मामले को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है तो वहीं कांग्रेस भी इसे गलत करार दे रही है।
दरअसल रायगढ़ नगर निगम क्षेत्र में अलग-अलग इलाकों में लगभग 700 से अधिक दुकानें हैं। इसमें से प्राइम लोकेशन की सौ से अधिक दुकानों में कलेक्टर दर के आधार पर किराए में वृद्धि की तैयारी है। किराया नहीं पटाने वाले दुकानदारों को निगम ने नोटिस जारी करना भी शुरू कर दिया है। ऐसे में कारोबारी जहां सकते में है तो वहीं वे इस पूरी प्रक्रिया को गलत ठहरा रहे हैं। कारोबारियों का कहना है कि लीज अनुबंध के आधार पर हर 3 साल में 10 फ़ीसदी वृद्धि जायज है लेकिन कलेक्टर दर लागू करने से किराए में कई गुना वृद्धि हो जाएगी। जिन दुकानों का किराया 8 से 9 सौ रुपये है उसका किराया 3 से साढ़े तीन हजार तक हो जाएगा। कारोबारियों का यह भी कहना है कि दुकानदारों से 2016 से बढ़े हुए दर पर किराया मांगा जा रहा है, जबकि नियमानुसार वर्तमान तिथि से नया किराया लागू होना चाहिए। इधर मामले में कांग्रेस भी इसे गलत ठहरा रही है। निगम नेता प्रतिपक्ष सलीम नियारिया का कहना है कि नगर निगम जिस निर्णय का हवाला दे रही है वह 10 साल पुराना है। ऐसे में इस विषय को सदन में फिर से चर्चा के लिए रखना चाहिए। सदन जो निर्णय लेगी उसे लागू किया जाना चाहिए, लेकिन नगर निगम के अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल ने इस बात को लेकर निगम में आपत्ति दर्ज कराई है।
क्या कहते है कमीशनर
अधिकांश दुकानदारों ने दुकानों को उप किराए पर संचालित कर रखा है। निगम का किराया कम जबकि बाजार का वास्तविक किराया कई गुना अधिक है। ऐसे में सदन के ही निर्णय का परिपालन करते हुए किराए में वृद्धि की जा रही है। जिन लोगों ने आपत्तियां की है उन्होंने खुद कई सालों से किराया जमा नहीं किया है।
ब्रजेश सिंह क्षत्रिय कमीशनर नगर निगम