तमनार के बाद अब धरमजयगढ़ की बारी है l इस क्षेत्र के पुरूंगा में कोल माइंस के लिये घने जंगल की बलि लेने की प्रशासनिक तैयारी लगभग पूरी हो गई है अब केवल जन सुनवाई की औपचारिकता बाकी रह गयी है l धरमजयगढ़ में मेसर्स अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड अडानी पुरुंगा की जनसुनवाई दिनांक 11 नवंबर को प्रशासन कराने जा रही है,आदिवासी बाहुल क्षेत्र पुरूंगा में घना जंगल है तथा क़ृषि के साथ ही वनोपज यहां के रहवासियों के जीविकोपार्जन का साधन है खदान के लिये जंगल कटने से ग्रामीणों का रोजगार लगभग समाप्त हो जायेगा l यही वजह है कि आदिवासी ग्रामीण अपनी जमीन व जल, जंगल बचाने कोल माइंस का विरोध कर रहे है l ग्रामीणों का कहना है कि खदान से जहां प्रदूषण होगा वहीं उनके खेत की जमीन भी बंजर हो जायेगी l इसके आलावा यहां कुल 621.331 हेक्टेयर वन भूमि है जिसमें आरक्षित जंगल 776 एकड़ है हो खदान से प्रभावित होगा। जंगल में अन्य वन्य प्राणियों के आलावा हाथियों का भी रहवास है जिसके उजड़ने पर वन्य प्राणी भोजन पानी की तलाश में गांव की ओर रुख करेंगे तथा जान माल की हानि होगी l वहीं भू जल भी प्रभावित होगा l प्रभावितो का कहना है कि जंगल,जमीन और जंगली बेजुबान हाथियों के जंगल को नष्ट करने वाले है जिसको बचाने उन्हें सड़क पर उतरना पड़ रहा है lग्रामवासियों का कहना है कि वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत ग्राम के निजी दावे अभी लंबित हैं, ऐसे में बिना स्वीकृति किसी भी परियोजना की कार्यवाही गैरकानूनी है। यह क्षेत्र पेशा कानून के अंतर्गत आता है, और ग्राम सभा ने इस परियोजना को स्वीकृति नहीं दी है। यह क्षेत्र पांचवीं अनुसूची में शामिल है तथा छत्तीसगढ़ पेशा अधिनियम 2022 के तहत संरक्षित है।