जब छत्तीसगढ़ राज्य दीयों की जगमग, मिठाइयों की मिठास और नए कपड़ों की खनक के साथ ‘रोशनी का पर्व’ दीपावली मना रहा था, तब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के 16,000 से अधिक कर्मचारी घोर आर्थिक तंगी, मायूसी और निराशा के अंधेरे में डूबे हुए थे। ये वही ‘स्वास्थ्य योद्धा’ हैं, जो उपस्वास्थ्य केंद्रों, आयुष्मान आरोग्य मंदिरों, प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में दिन-रात कोविड-19 जैसी महामारियों और सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं को संचालित करते हैं, किंतु आज अपने परिवारों के लिए एक मुट्ठी मिठाई या नए कपड़े तक नहीं खरीद पाए, क्योंकि उनका वेतन अब तक अप्राप्त है।
शासन के आदेश की खुली अवहेलना:18 अक्टूबर की डेडलाइन भी बेअसर
कर्मचारियों ने हाल ही में अपनी 10-सूत्रीय मांगों को लेकर जेल भरो आंदोलन, जल सत्याग्रह और चुनरी यात्रा जैसे कड़े कदम उठाए, जिसके जवाब में उन्हें केवल खोखले आश्वासन ही मिले। स्थिति की विडंबना यह है कि शासन ने स्वयं 16 अक्टूबर 2025 को पत्र क्रमांक/2489/वित्त/ब-4/2025 के माध्यम से सभी विभागों को स्पष्ट रूप से 18 अक्टूबर तक वेतन भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। यह निर्देश दीपावली की संवेदनशीलता को देखते हुए दिया गया था, किंतु इसकी खुलेआम अवहेलना हुई, और हजारों कर्मचारियों के बैंक खाते आज भी खाली पड़े हैं।

वेतन और लाभ पर ‘बजट की कमी’ का बहाना, कर्मचारियों में गहरा रोष:
NHM कर्मचारियों को पहले से ही अल्प वेतन में गुजारा करना पड़ता है। दीपावली पर वेतन न मिलने से वे न केवल त्योहार की खुशी से वंचित हुए हैं, बल्कि उन पर तत्काल आर्थिक दबाव बढ़ गया है।
वार्षिक इनसेंटिव का निलंबन: पहली बार, कर्मचारियों को मिलने वाली वार्षिक इनसेंटिव (Annual Incentive) की राशि भी प्रदान नहीं की गई है।
लंबित 5% वेतनवृद्धि:1 जुलाई 2023 से स्वीकृत 5 प्रतिशत वेतनवृद्धि भी ‘बजट की कमी’ का हवाला देते हुए अधिकांश जिलों में लागू नहीं की गई है, जिससे कर्मचारियों का आक्रोश चरम पर है।
आश्वासन के बाद भी बहाली नहीं, स्वास्थ्य मंत्री/मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप अनिवार्य:
हाल की हड़ताल के दौरान प्रशासनिक कारणों से बर्खास्त किए गए 25 कर्मचारियों की बहाली का मामला भी मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के सार्वजनिक आश्वासनों के बावजूद लंबित है। छत्तीसगढ़ प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ का मानना है कि एक ओर इन कर्मचारियों से अन्य विभागों के कार्य भी लिए जाते हैं और कड़े टारगेट पूरे करने की अपेक्षा की जाती है, वहीं दूसरी ओर सरकार जानबूझकर इस महत्वपूर्ण विभाग के प्रति संवेदनहीन बनी हुई है।
संघ का सरकार से सीधा सवाल:
“क्या स्वास्थ्य सेवाओं के ये योद्धा केवल आश्वासनों के हकदार हैं? क्या दीपावली की मायूसी इन कर्मचारियों के लिए नया सामान्य बन जाएगी?”
छत्तीसगढ़ प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी और प्रदेश प्रवक्ता पुरन दास ने सरकार से तत्काल और कठोर हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है कि यह मामला अब केवल वित्तीय नहीं, बल्कि मानवीय और नैतिक हो गया है।
संघ की चार सूत्रीय मांगें:
वेतन एवं इनसेंटिव का त्वरित भुगतान:सभी लंबित वेतन और वार्षिक इनसेंटिव का तत्काल, आज ही भुगतान सुनिश्चित हो।
5% वेतनवृद्धि: 5% वेतनवृद्धि का लाभ तत्काल प्रभाव से सभी कर्मचारियों को बिना शर्त प्रदान किया जाए।
बर्खास्तगी रद्द हो: हड़ताल के दौरान बर्खास्त किए गए 25 कर्मचारियों की तत्काल बहाली की जाए।
नियमितता की नीति: भविष्य में वेतन भुगतान की अनियमितता को रोकने हेतु एक स्पष्ट और नीतिगत कदम उठाया जाए।
यदि इन मांगों पर तत्काल सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई, तो संगठन मजबूरन और कड़े रास्ते अपनाएगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी और जिसका सीधा प्रभाव प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ेगा।

