घरघोड़ा । नगर पंचायत में बह रही भस्टाचार की गंगा का खामियाजा छोटे कर्मचारियों को भोगना पड़ रहा है कर्मचारियों को वेतन के लिये लाले पड़े हुये है अधिकारी व उच्च लिपिक सिर्फ फर्जी बिलो का आहरण कर अपनी जेब भरने में मशगूल है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नियमित कर्मचारियों को आज तीसरा माह चल रहा है वेतन प्राप्त नही हुआ है वही प्लेसमेंट कर्मचारियों को भी 2 माह से वेतन प्राप्त नही हुआ है 8 हजार से 9 हजार महीना पाने वाले इन कर्मचारियों पर क्या बीतती होगी इससे अधिकारियों को कोई मतलब नही है।
छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा त्योहार हरेली सोमवार को है और यहां के बेलगाम हो चुके अधिकारी ने कल प्लेसमेंट कर्मचारियों का 1 माह का ही वेतन बनाया गया जबकि शनिवार रविवार बैंक की छुट्टी है ऐसे में सोमवार को हरेली के त्योहार में कर्मचारियों को वेतन कैसे प्राप्त होगा, पिछले माह रथ जैसे पर्व में भी कर्मचारियों को वेतन नही मिल पाया था इससे नगर पालिका अधिकारी की बेलगामता का पता चलता है।
जबकि शासन का स्पष्ठ आदेश है कि प्रति माह 7 तारीख को कर्मचारियों को वेतन दिया जाना है नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया ने भी अपनी समीक्षा बैठक में स्पष्ठ निर्देश जारी किये थे हर माह 7 तारीख को वेतन दिया जाना परंतु वर्तमान सीएमओ शासन के नियमो के साथ साथ माननीय मंत्री के आदेश को भी खुला ठेंगा दिखा रहे है।
राजस्व वसूली हुई ठप्प, घर को बनाया कार्यलय
नप घरघोडा में जब से अनिल सोनवानी पदस्थ हुये तब से आज तक ना नगर का जायजा तक नही लिया गया है यहां तक कि कार्यलय को ही घर बना दिया गया है सारा कार्य घर से हो रहा है ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि ऐसा कौन सा गोपनीय कार्य है जो नगर पालिका अधिकारी कार्यलय में ना बैठ कर घर से संचालित कर रहे है आम जनता उनसे मिलने घण्टो इंतजार करती रहती है पर सहाब को आम जनता से कोई सरोकार नही।
रात तक कार्यलय हो रहा है गुलजार
छत्तीसगढ़ सरकार ने कर्मचारियों की सुविधा को देखते हुये शनिवार रविवार को छुट्टी घोषित किया गया व कार्यलयिन समय को सुबह 10 से 5.30 का निर्धारित किया गया है परंतु नगर पंचायत घरघोड़ा में सब इसके विपरीत चल रहा है देर रात तक कार्यलय गुलजार रहता है लोगो की महफ़िल सजी हुई देखी जा सकती है ऐसा कौन सा कार्य है जो रात 5 बजे के बाद भी कार्यलय में अतिआवश्यक हो गया है इस मामले में नगर पालिका अधिकारी की भूमिका पर सवालिया निशान उठ रहे है
देखना यह होगा कि उच्च अधिकारी इस मामले को कितनी गम्भीरता से लेते हुये चल रहे भर्राशाही को रोक लगाते है नही।
