देश में चारो ओर दुर्गा नवमी की धूम है कला और संस्कार की धनी नगरी रायगढ़ कहा पीछे रहेगा केवल रायगढ़ शहर में सैकड़ों की संख्या में दुर्गा मां की प्रतिमा की स्थापना की जाती है बड़े से बड़े भव्य विशाल पंडालों के अंदर मां दुर्गा मां सुंदर से सुंदर आकर्षक प्रतिमा की पूजा की जाती है नवरात्र के नव दिन पूरे रायगढ़ की धूम देखने ही बनती है इसी परंपरा में रायगढ़ शहर के मिनीमता चौक जिला जेल परिसर रोड में विगत तीन वर्षो से सत्यम शिवम सुंदरम सेवा समिति द्वारा दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है जिसकी चर्चा पूरे शहर में होती है समिति द्वारा नौ दिन के नवरात्री के इस पवित्र त्यौहार को बड़े ही धूम धाम से आए दिन नए नए खुबसूरत आयोजनों के साथ मनाया जाता है जिसे देखने पूरा शहर उमड़ पड़ता है शायद यही कारण है की केवल तीन वर्षो के आयोजन से ही इस समिति ने अच्छी ख्याति कमाई है ।
इस वर्ष भी सत्यम शिवम सुंदरम सेवा समिति द्वारा हर वर्ष की भाती नव दिनों का नवरात्र आयोजन किया गया है जिसमे नौ दिनों तक महिला बच्चे बुजुर्ग जैसे समाज के सभी वर्ग के लोगो को ध्यान में रख कर नौ दिनों तक अलग अलग कार्यक्रम रखा गया है, कार्यक्रम के साथ साथ इस वर्ष समिति चर्चा में बनी हुई है उसका कारण है मां दुर्गा की प्रतिमा और पंडाल की सजावट इस वर्ष समिति से महिला सशक्तिकरण को थीम बना कर दुर्गा मां को एक आम महिला के रूप में प्रस्तुत किया है जिससे पूरे शहर में खासकर महिलाओ द्वारा खूब सहराया जा रहा है माता जी की प्रतिमा आम घरेलू सहायिका के रूप में स्थापित कर हर औरत के अंदर दुर्गा है ऐसे संदेश के साथ पंडाल को सजाया गया है श्रद्धालुओं को बहुत पसंद आरहा है समाज का हर वर्ग इस नई सोच की खुब पसंद कर रहा है।
धर्मात्मा, सदाचारी और बहादुर! माँ दुर्गा, दिव्य माँ और शक्ति की देवी जो “शक्ति” का प्रतिनिधित्व करती हैं, सभी को नुकसान और दर्द से बचाती हैं। चाहे वह बंगाली दुर्गा पूजा हो, गुजराती डांडिया हो या राक्षस राजा महिषासुर के विनाश की याद में मनाया जाने वाला भव्य मैसूर दशहरा उत्सव हो – ये त्योहार देश को बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए एक साथ लाते हैं। वह सामान्य धागा जो उन सभी को एक साथ जोड़ता है? लोगों की भक्ति, उत्साह और ईमानदारी. चाहे वह दुर्गा पूजा पंडालों की महीनों की तैयारी हो या बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाला आदिवासी उत्सव – हर राज्य की अपनी-अपनी कहानियाँ हैं। इसके अलावा, ये उत्सव भक्तों द्वारा देवी दुर्गा की पूजा करने के कई तरीकों को साबित करते हैं।

हिंदू पौराणिक कथाओं में दुर्गा को निडर, दुर्जेय योद्धा देवी के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो किसी मनुष्य या देवता द्वारा अजेय बनाए जाने के बाद एक दुष्ट राक्षस का वध करती है। उनकी तीन भयंकर आंखें, दस हथियार रखने वाले उनके दस हाथ और शेर पर उनकी सवारी उनके अजेय जोश को दर्शाती है। आज वह पृथ्वी पर स्त्री ऊर्जा का एक शानदार उदाहरण बनकर खड़ी है, इस हद तक कि दुर्गा पूजा महिलाओं का उत्सव बन गई है और “दुर्गा”, महिला सशक्तिकरण का प्रतीक।