खैरागढ़ l दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागपुर संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय ऑक्टेव-25 का शुभारंभ छत्तीसढ़ के राज्यपाल एवं इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रमेन डेका के मुख्य आतिथ्य में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति सत्य नारायण राठौर ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागपुर की निदेशक सुश्री आस्था कार्लेकर व उत्तर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागालैंड के निर्देशक डाॅ.प्रसन्ना गागोई व विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रेम कुमार पटेल उपस्थित रहे। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा राजकुमारी इंदिरा के तैलचित्र पर पुष्प अर्पण व दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसके पश्चात कार्यक्रम को संबोधित करते हुये राज्यपाल एवं कुलाधिपति रमेन डेका ने कहा कि संगीत-कला मनुष्य के तनावपूर्ण जीवन में ऑक्सीजन का काम करता है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति बहुत ही समृद्धशाली है, यहां रामायण युग से पहले की संस्कृति देखने को मिलती है। पूर्वोत्तर राज्यों की भी संस्कृतियां अद्भुत है। छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर राज्यों की संस्कृति प्रायः एक जैसी है। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय कला-संस्कृति को संजोये रखने में बेहतर एवं सराहनीय काम कर रहा है। इस विश्वविद्यालय में पूरे भारत देश के बच्चे शिक्षा लेने पहुंच रहे हैं जो गौरव का विषय है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अलग-अलग राज्यों की संस्कृति को समझने व सहेजने के लिये है। हमारी संस्कृति, बोली, भाषा जरूर अलग है फिर भी हम एक भारत के नागरिक हैं। राज्यपाल ने आगे का कि प्रधानमंत्री मोदी की योजना एक भारत श्रेष्ठ भारत का राजभवन में पालन किया जा रहा है और इसके तहत अलग-अलग राज्यों के छात्रों और नागरिकों को बुलाते हैं। ऐसे कार्यक्रम विविधता में एकता लाने का काम करता है और हमारी एकता निरंतर बढ़ती जाती है। उन्होंने दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागपुर एवं इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के इस कार्यक्रम की खूब सराहना की।
कुलपति सत्य नारायण राठौर ने विश्वविद्यालय में अध्ययन-अध्यापन की जानकारी देते हुये कहा कि विश्वविद्यालय के पूरे भारतवर्ष में कुल 18 महाविद्यालय तथा 55 मान्यता प्राप्त परीक्षा केन्द्र संचालित है। इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी कला एवं संगीत का समर्पित भाव से अध्ययन करते हैं। राज्यपाल के कार्यभार ग्रहण करने के बाद इस विश्वविद्यालय में हुये प्रतिष्ठित आयोजनों से अतिथियों को अवगत कराये जिसमें तानसेन संगीत समारोह, भारत रंग महोत्सव शामिल है। विश्वविद्यालय के छात्रों ने बंलगुरू में आयोजित युवा उत्सव में ओवरऑल प्रथम स्थान व नोएडा में आयोजित युवा उत्सव में ओवरऑल द्वितीय स्थान प्राप्त किया। विश्वविद्यालय में छात्रावास की सुविधा दिलाते हुये सभी विद्यार्थियों को छात्रावास की सुविधा दी तथा सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक लाईब्रेरी की सुविधा दी। आर्ट गैलरी की ओपनिंग की गई जहां भ्रमण कर लोग कला और संस्कृति से रूबरू हो रहे हैं।
दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागपुर की निदेशक सुश्री आस्था कार्लेकर ने कहा कि ऑक्टेव अपने आप में एक विशेष कार्यक्रम है जिसमें पूर्वोत्तर राज्यों की संस्कृति, व्यंजन और कलाकारों को अन्य राज्यों से जोड़ता है। ऐसे आयोजनों से हम भारत की संस्कृति को निश्चित ही बढ़ावा देते हैं।
उत्तर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागालैंड के निर्देशक डाॅ.प्रसन्ना गागोई ने कहा कि आपने जो कार्यक्रम देखा वह एक झलक है। उत्तर पूर्व की संस्कृति को बारिकी से जानने के लिये उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों का भ्रमण करने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत की कुल जाति-जनजाति में से आधे से अधिक जाति-जनजाति उत्तर पूर्व में बसे हुये हैं और हर जाति-जनजाति की अपनी एक लोक कला है। यही हमारा श्रेष्ठ भारत है। असम में आधे से ज्यादा लोग छत्तीसगढ़ व झारखंड से हैं। कार्यक्रम का संचालन ऑक्टेव-25 के संयोजक डाॅ.योगेन्द्र चैबे ने किया। अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रेम कुमार पटेल ने अतिथियों सहित पूर्वोत्तर राज्य के कलाकारों व दर्शकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुये इस कार्यक्रम का आनंद लेने की अपील की।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के म्यूजियम व आर्ट गैलरी का किया भ्रमण
कार्यक्रम शुभारंभ से पूर्व राज्यपाल श्री डेका ने विश्वविद्यालय के म्यूजियम तथा आर्ट गैलरी का भ्रमण किया। साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय में अध्ययनरत पूर्वोत्तर राज्यों के विद्यार्थियों से भी मुलाकात की। म्यूजियम में देश की ऐतिहासिक धरोहरों को बारिकी से देखा और इसे संजोये रखने पर उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की साथ ही आर्टल गैलरी में छात्र कलाकारों द्वारा निर्मित कलाओं को देखकर खुश हुये और छात्रों की कला की सराहना की।
कार्यक्रम के पहले दिन पूर्वोत्तर राज्यों के लोक नृत्यों की झलकियां दिखाई गई
कार्यक्रम में प्रथम दिन पूर्वोत्तर के आठ राज्यों की लोक नृत्यों सहित अन्य नृत्य-संगीत की झलकियां दिखाई गई। इस दौरान मणिपुर के ढोल चोलम एवं पुंग चोलम नृत्य, बसंत रास, चेरोल जगोई एवं थाँग-टा, असम के रंगीला बिहू, डाओसरी डेलाई, झूमोईर, त्रिपुरा के होजागीरी, नागालैंड के नजाता, ओ नोक्षी नृत्य, मेघालय के वान्गला एवं का-शाद-मस्तेह, अरुणाचल प्रदेश के टप्पु, गास्यो स्यो नृत्य, मिजोरम के चेराव नृत्य तथा सिक्किम के तामाङ सेलो नृत्य की झलकियां दिखाकर दशकों को पूर्वोत्तर की संस्कृति से अवगत कराया गया।