रायगढ। जिला भाजपा में व्याप्त अंतर्कलह किसी से छिपा नही है। विधान सभा चुनाव के लिए भी रायगढ विधान सभा से टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त थी। जानकारों की यदि माने तो जितने टीकट के दावेदार उतने ही खेमे में बंटी हुई थी भाजपा। किसी भी स्थानीय को टिकट नही देने के पीछे भी यही एक मूल कारण माना जा रहा है। चूंकि टिकट किसी एक को ही मिलना है और बाकी टांग खिंचने में जुट जाते लिहाजा शीर्ष नेतृत्व ने ऐसा नाम तलाश किया जिससे गुट बाजी कुछ हद तक कम हो सके।
भले ही ओ पी चौधरी पिछला चुनाव खरसिया से हार गए थे और रायगढ विधान सभा से भी नही है, बावजूद इसके संगठन में एक बड़ा नाम है और इस नाम पर विद्रोह जैसी स्थिति उत्पन्न नही होगी इसी सोच के साथ पार्टी ने स्थानीय नेताओं को दर किनार कर ओ पी चौधरी को रायगढ से लड़ाने का बडा फैसला लिया। वही सवाल यह उठता है कि अंतर्कलह से जूझ रही भाजपा में क्या ओ पी चौधरी चुनावी वैतरणी पार कर पाएंगे? यही सवाल अब आम जन के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि नाम की घोषणा होते ही ओ पी चौधरी ने सभी टिकट के दावेदारों से मिलकर उनके साथ फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया में वायरल कर यह बताने की कोशिश जरूर की है कि सभी लोग उनके नाम पर सहमत है। वही राजनीतिक सूत्रों के अनुसार संगठन को भी इस बात का भान है कि स्थानीय नेता भीतर से काफी नाराज है और इससे नुकसान उठाना पड़ सकता है। भले ही संगठन स्तर पर डेमेज कंट्रोल के लिए प्रयास शुरू हो गए है,लेकिन पार्टी में चुनाव को लेकर विशेष सक्रियता नज़र नही आ रही है।
