रायगढ़। शिवानी मुखर्जी नहीं रहीं, बीते शुक्रवार की सुबह बिलासपुर से अपोलो हॉस्पिटल में उपचार के दौरान उनका असामयिक निधन हो गया, शुक्रवार की शाम पंजरी प्लांट स्थित मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार संपन्न हुआ, शिबानी की अंतिम यात्रा में कला साहित्य संगीत और रंगमंच से जुड़े लोग बड़ी तादाद में शामिल हुए।

शिवानी मुखर्जी कला, साहित्य संगीत और रंगमंच के प्रति बेहद लगाव रखती थीं, अपनी ज़िदगी का लंबा वक़्त उन्होंने संगीत साहित्य और रंगमंच को दिया, तक़रीबन चार दशक पहले भारतीय जन नाट्य संघ इप्टा के साथ जुड़कर उन्होंने अपनी रंगमंच की यात्रा शुरू की थी, हिंदी बंग्ला और छत्तीसगढ़ी को मिलाकर तक़रीबन 35 नाटकों में काम किया, मंच पर सहज अभिनय से शिबानी ने अपने हर पात्र को जीवंत करने की कोशिश लगातार की, छत्तीसगढ़ी नाटकों में अभिनय करते हुए शिबानी बेहद सहज नज़र आती थीं, शिवानी मुखर्जी पठन पाठन के अलावा देश देशांतर घूमने के लिए शिबानी बेहद शौक़ीन थीं, उन्होंने दुनिया के कई देशों की यात्रा की साथी मानसरोवर जैसी जटिल यात्रा को भी पूरा किया, व्यवहारकुशलता तो उनमें कूट-कूटकर भरी थी, शिबानी की पूरी जीवन यात्रा में उनकी बड़ी बहन कल्याणी मुखर्जी का पूरा साथ मिला, पूरी ज़िंदगी अविवाहित रहते हुए शिबानी और कल्याणी को एक दूसरे की पूरक के तौर पर देखा जाता था, हालांकि शिबानी और कल्याणी के साथ उनकी बाक़ी चारों‌विवाहित बहनों का भरा पूरा समृद्ध परिवार है, पोस्ट आफ़िस के पीछे बंगाली पारा में भी उनके कज़न भाईयों का परिवार रहता है, बड़ी बहन कल्याणी मुखर्जी सरदार‌ वल्लभभाई पटेल म्युनिसिपल स्कूल से शिक्षिका रहते हुए पहले सेवानिवृत्त हुईं और बाद में भारतीय डाक विभाग में सेवा देते हुए पोस्ट आफ़िस की स्टेशन चौक स्थित मेनब्रांच से शिबानी सेवानिवृत्त हो गईं, शिबानी के निधन से बड़ी बहन कल्याणी को सबसे बड़ा आघात हुआ है, हालांकि इस विषम परिस्थिति में भाई बहनों का परिवार उनके सामने मज़बूती के साथ खड़ा है।

सेवानिवृत्ति के बाद भी दोनों बहनों ने कला साहित्य रंगमंच के प्रति अपने लगाव को समर्पण के साथ ज़िदा रखा, इप्टा के अलावा गुड़ी सामाजिक सांस्कृतिक संस्थान और मिलनी काली बाड़ी में बंगाली समाज के सांस्कृतिक प्रभाग को पूरी ज़िम्मेदारी और कलात्मकता के साथ संभाला, बीते साल दिसंबर महीने में इप्टा के अजय आठले स्मृति राष्ट्रीय नाट्य समारोह के दौरान खेले गये संक्रमण नाटक में रविन्द्र चौबे और विवेक तिवारी के साथ जीवंत अभिनय किया था।

शिबानी के निधन से रायगढ़ की कला साहित्य संगीत रंगमंच के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है, जिसकी भरपाई संभव नहीं है, समूची कला बिरादरी की तरफ़ से शिबानी मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए इस दुःख की घड़ी में परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई है।

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